Wednesday, August 26, 2020

जिंदगी से सीखने की कला (Art of learning from life)

learning from life, being aware of what life is teaching every moment.

जिंदगी से सीखने की कला  (Art of learning from life) (Hindi Poetry)


जिंदगी से सीखने की कला (Art of learning from life)
Hindi poetry

जिंदगी से सीखने की कला  (Art of learning from life)
मुश्किलों का दौर 
भी है अगर
तो भी
गुजर तो जाएगा ही

गर कोसने की ही
आदत हो 
तो बड़े जख्म 
दे जाएगा ही

सीखने की आग
और चाहत जिंदगी की
हो अगर
तो हर दौर
कुछ सिखाकर जाएगा ही

न देख बाहर
सवाल कर अपने से
क्या कसूर है तेरा?
गर  हाँ  मिले जबाब
तो तौबा कर
न मिले जबाब
तो क्या कसूर तेरा

वक़्त के पन्ने
पलटते ही हैं
तू देखता जा
जिंदगी कुछ सिखाएगी ही
तू सीखता जा

छोटा बन,
अकड़ छोड़ " तूराज़ "
बच्चे की तरह
देखता भी जा
सीखता भी जा।


तूराज़........


Recommended :-  अविरल वक़्त (continuous time)

Recommended :-  आओ मिलकर दीप जला लें (lighting the light of life)

0 comments:

Post a Comment

please do not add any span message or link