Sunday, August 30, 2020

रहस्यमय रचना ( mysterious creation)

Looks like a market, everyone gives something, takes something, the secret is this, the bag gets empty by coming home, where does everyone go?

रहस्यमय रचना ( mysterious creation) (hindi poetry) :-
" एक बाज़ार सा लगा दिखता है हर कोई कुछ दे जाता है, कुछ ले जाता है रहस्य तो ये है, घर तक आते-आते थैला खाली हो जाता है, सब कहां जाता है ? "

रहस्यमय रचना ( mysterious creation) (hindi poetry)
hindi poetry

रहस्यमय रचना ( mysterious creation)
जो कुछ भी होता है यहां
उसका क्या मकसद
होता है....?

दिन, बार, व्रत, त्योहार
पूनम, अमावस,
कीट-पतंग, नभचर, थलचर,
मानव, किन्नर, गुरु-ज्ञानी, देव-महादेव
के अविरल आने-जाने का
क्या मकसद होता है ?

हवा, पानी, सूरज, चांद, नदी-नाले
जीव-जंतु ,पेड़-पौंधे, 
चलते ही जाते हैं।
इस आने जाने का
क्या मकसद होता है ?

देश-दुनिया, धर्म, समाज-सभ्यता
जाति-वर्ण,काला-गोरा सब वहीं है
अनंत युगों से, फिर
इनके खातिर लाखों लोगों के मरने का
क्या मकसद होता है?

हर जीव अपनी-अपनी दौड़ में है-
चींटी हो, मधुमक्खी या मानव
सब इकट्ठा करते ही जाते,
घर बनाते, प्रजनन करते,
अपनों और अपनी 
चिंता में मर जाते, 
कहां चले जाते हैं ? 
फिर इस सब  आने-जाने का
क्या मकसद होता है?

गुरु-ज्ञानी, पीर-पैगम्बर, ऋषि-मुनि
ज्ञान बखारे , आते-जाते रहते हैं
खबर आती है रोज़ 
या आएगी ही  
अपना गया कोई, अपना-अपना करके
"तूराज़"  नाम भी 
निश्चित ही है इस कतार में
फिर इस मैं-और-मेरी का क्या 
मकसद होता है ??????


तूराज़......







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