Monday, July 20, 2020

जीवन की स्वीकृति "acceptance of life"

जीवन की स्वीकृति "acceptance of life"
जीवन की स्वीकृति "acceptance of life"

सब को नमस्कार है, सब कुछ स्वीकार है।
प्रथम नमन शरीर दिया जिन
लालन-पालन, सुख-दुख का बोझ लिया जिन
प्राण-नूर भरा, परम-पुरुष ने
उस नूरी स्वरूप को
नमस्कार है, सब कुछ स्वीकार है।

धरती के भीतर, धरती और अम्बर पर
कितना अद्भुत दृश्य रचाकर
भांति-भांति के आकार बनाये
 खुद ही पैदा भी करते, लालन-पालन भी
फिर जीव-जीव को खाते भी
देख कण-कण में  बैठ तमाशा
हंसता भी है, और रोता भी
सब रूपों में लीला करने वालों को
नमस्कार है, सब कुछ स्वीकार है।

जीवन की इस छोटी सी बगिया में
नाना फूल खिले हैं,  सब अपने से लगते हैं
मोरों का नृत्य है, रसगान कोयल का
भौरों की गुंजन, अटखेल तितलियों का
दूर फिजा में महके, जीवन की खुशबू
सब कुछ पल-भर को  
हरा-भरा,  तरो-ताज़ा सा दिखता है

अगले ही पल, कुम्हलाता सा है जीवन
कोई पास नहीं है अब इसके
धरती पर गिर, मिट्टी में दब जाता है जीवन
फिर खिल उठता , नये रूप में
रहट सा चलता जाता है जीवन

ना " तूराज़ " ने मांगा था जीवन
ना ही सुख-दुख, भाग्य-नियति 
जब सब-कुछ " कर्ता " का करा कराया
 तो जैसा भी है, मुझे स्वीकार है।
सबको नमस्कार है। सबको नमस्कार है।


तूराज़.....…

0 comments:

Post a Comment

please do not add any span message or link