Tuesday, July 28, 2020

जीवन-मृत्यु की आंख-मिचोली (Life-death-nausea)

Life-death-nausea
Life-death-nausea
जीवन-मृत्यु की आंख-मिचोली (Life-death-nausea)

कौन, कहाँ जाता है..........
बस मंझर सा है,
दिखता है, फिर खो जाता है।

धूप- छावँ की आँख-मिचोली
बादल भागा सा जाता है , नभ में
मैंने भी जीवन-भर दौड़ लगाई
खटिया से उठ, फिर खटिया पर आया
कौन, कहाँ जाता है
बस मंझर सा है.......

कितने आयुष्मान लिये,  
जीवन भर, अथक  प्रयास किये
वाह-वाही लूटी, पुरुष्कार लिए
कितने दुश्मन - दोस्त किये
चल-चित्र सी इस दुनिया में
कितने मैंने  पार्ट किये
पर जब भी कोई, खो सा जाता है
अभिनय में, इस जीवन के         
तब ही, काला सा पर्दा, गिर जाता है, जीवन पर ।
कौन, कहाँ जाता है........
फिर सूरज उग आता है पूरब से, 
अगले दिन
बस मँझर सा है..........
दिखता है
फिर खो जाता है..........

                   ....... तूराज़

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