hindi poetry on life
"जीवन मोती : Life Pearl"
"जीवन मोती : Life Pearl" (hindi poetry) |
" जीवन मोती : Life Pearl "
चुकता ही जाता है
जीवन सोने में
देखो
हरी घास पर
मोती सी बूदें
नंगे पाओं से चलकर
थोड़ा मस्तिष्क को ठंडा कर लें
क्यों न थोड़ा कम सो लें
दूर क्षितिज पर लालिमा खड़ी
बगुलों की कतारें, दर्शन को निकली
चिड़ियों ने सुबह के राग छेड़े हैं
बस ब्रम्ह रूप आते ही हैं अब
क्यों न नतमस्तक कर
अपने जीवन को रोशन कर लें
थोड़ा कम सो लें
उषा की यह पहली किरण
हो सकता है अंतर्मन में
राग-रंग, रसगान, नृत्य भर,
मन के काले पर्दों को धो डाले
जीवन की बाती का तेल
चुकता ही जाता है सोने में ,
तो क्यों न
थोड़ा कम सो लें
तुराज
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